"बंधन जन्मों का" अंतिम भाग-22
पिछला भाग:--
अब बच्चों का दुख उससे देखा नहीं जा रहा....
है ईश्वर कैसा भाग्य लिखा मेरा... दुखों से उबर
नहीं पा रही- है भगवान क्या करुं मैं.....
अब आगे:--
पाँच छै: महिने ऐसे ही परेशानियों में निकल
गये... पता चला गुड़िया के पति का तबादला
हो गया... उसके सास-ससुर आए उन्होंने सब
बताया... बोले बेटा हमारे साथ चलो अपने पति
के घर कुछ दिन रह कर देख लो जैसा तुम्हें लगे
हम जोर नहीं दे रहे... सब तुम्हारे ऊपर है....
गुड़िया माँ से बोलती है-अब माँ बाबू जी भी
साथ जा रहें हैं... तो कोई दिक्कत नहीं होगी
एक मौका देकर देख लेती हूँ....
बेटी के आगे माँको झुकना ही पड़ा....
गुड़िया अपने सास-ससुर के साथ अपने पति
के घर चली गयी......
विमला बहुत दुखी हो गयी... चाहकर भी मैं
बच्चों के लिए कुछ नहीं कर पा रही.....
प्रवीण के साथ पास चली जाती है.....
वहाँ प्रवीण भी अपने साथ काम करने वाली
लड़की से कोर्ट मैरिज कर लेता है....
पता चलता है अब गुड़िया अपने पति के साथ अच्छे से रह रही है....
कुछ सालों बाद- गुड़िया के बच्चे भी बड़े हो
गये दोनों बच्चों की शादी भी हो गयी.....
अपनी मर्जी से दोनों बेटों ने कोर्ट मैरिज कर
ली... गुड़िया दो दो बहुओं वाली हो गयी....
विमला बैठी सोच रही सारा चलचित्र की भांति
सामने घूम रहा...कहाँ तो उसका जीना दूभर
हो गया था... उस एक तबादले ने गुड़िया की जिंदगी को बदल कर रख दिया ।
कहानीकार-रजनी कटारे
जबलपुर ( म.प्र.)
नोट-
समाज में घटित होती घटनाओं पर आधारित
Sandhya Prakash
22-Mar-2022 02:34 PM
Bahut khoobsurat khani likhi h aapne padh kr achcha lgaa
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Seema Priyadarshini sahay
10-Feb-2022 04:20 PM
Nice
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Simran Bhagat
09-Feb-2022 10:27 PM
Very nyc 🔥
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